कीटनाशकों से स्वास्थ्य पर असर: कृषि विभाग ने जारी की चेतावनी

 


बहराइच ज़िले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में हाल ही में किसानों और खेतिहर मज़दूरों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है। जांच में सामने आया कि इसके पीछे मुख्य कारण खेतों में अत्यधिक और असुरक्षित कीटनाशक (pesticides) का प्रयोग है। इन रसायनों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा में खुजली, आँखों में जलन, श्वसन तंत्र में सूजन, और कुछ मामलों में गंभीर एलर्जी व चक्कर आना जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं।

स्वास्थ्य केंद्रों पर बढ़े ऐसे मामले

बहराइच के गौरा, जरवल और मिहींपुरवा ब्लॉकों से दर्जनों किसान स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचे, जिनमें से अधिकांश ने बताया कि उन्होंने कीटनाशक छिड़काव के दौरान ग्लव्स, मास्क या सुरक्षा चश्मे का उपयोग नहीं किया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों के अनुसार, लगातार रासायनिक कीटनाशकों के संपर्क में रहने से लिवर, किडनी और फेफड़ों पर भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

कृषि विभाग ने की अपील

कृषि विभाग के ज़िला अधिकारी डॉ. प्रमोद यादव ने एक प्रेस वार्ता में कहा, “किसानों को प्रशिक्षित और जागरूक करना हमारी प्राथमिकता है। हमने गाँव-गाँव जाकर किसानों को बताया है कि बिना सुरक्षा उपकरण के कीटनाशक का छिड़काव करना सीधे उनके जीवन के लिए ख़तरा है।” उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे केवल प्रमाणित कंपनियों के कीटनाशकों का उपयोग करें और समय, मात्रा व निर्देशानुसार ही छिड़काव करें।

जैविक विकल्पों को बढ़ावा

डॉ. यादव ने कहा कि सरकार अब जैविक और कम विषैले विकल्पों को बढ़ावा दे रही है। इसमें नीम तेल, गोमूत्र-आधारित मिश्रण, और ट्राइकोडर्मा जैव-फफूंदनाशी शामिल हैं। इनका प्रयोग करने वाले किसानों में स्वास्थ्य समस्याएं अपेक्षाकृत कम पाई गईं हैं। इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) ने किसानों को रक्षा किट वितरित करने की योजना शुरू की है, जिसमें ग्लव्स, मास्क, और एप्रन शामिल होंगे।

गांव में किया गया प्रशिक्षण शिविर

इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए बहराइच के रूपईडीहा गाँव में एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जहाँ विशेषज्ञों ने कीटनाशक के सुरक्षित उपयोग, भंडारण, और उपयोग के बाद हाथ-मुँह धोने की विधियाँ बताईं।

किसान हरिशंकर यादव ने बताया, “पहले हम सीधे हाथ से दवा छिड़कते थे, अब समझ में आया कि ये हमारी सेहत पर कितना भारी पड़ सकता है। हम अब सुरक्षा साधनों के साथ ही खेत में काम करेंगे।”

नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की माँग

कई किसानों और स्वयंसेवी संगठनों ने सरकार से फसल चक्र में लगे किसानों के लिए साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य करने की माँग की है। साथ ही मांग की गई है कि ग्राम पंचायत स्तर पर सुरक्षा प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए, ताकि किसानों को दीर्घकालिक बीमारियों से बचाया जा सके।

कीटनाशकों का अंधाधुंध और असुरक्षित उपयोग किसानों की सेहत पर गंभीर असर डाल रहा है। यह केवल एक कृषि संकट नहीं, बल्कि एक सामाजिक और स्वास्थ्य आपदा बनता जा रहा है। यदि समय रहते सरकार, विभाग और किसान एकजुट होकर कदम नहीं उठाते, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

समाधान के लिए ज़रूरी है:

  • किसानों को सुरक्षित कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण

  • जैविक विकल्पों को बढ़ावा

  • स्वास्थ्य परीक्षण और निगरानी

  • कीटनाशकों की बिक्री पर कड़ा नियंत्रण

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