खेतों में काम करने वाली महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित

ग्राम्य क्षेत्र की खेतिहर महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र, हरदोई के सहयोग से एक विशेष महिला स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर पिहानी ब्लॉक के बेलहरा गाँव में आयोजित हुआ, जहाँ 200 से अधिक महिलाओं ने स्वास्थ्य जांच, परामर्श और उपचार सेवाओं का लाभ उठाया।

ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ, विशेषतः खेतों में काम करने वाली श्रमिकाएं, लंबे समय से शारीरिक परिश्रम, पोषण की कमी, धूप और कीटनाशकों के संपर्क के चलते कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित रहती हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस बार स्वास्थ्य विभाग ने लैंगिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर केंद्रित शिविर का आयोजन किया।

स्वास्थ्य सेवाओं का मिला समुचित लाभ

शिविर में उपस्थित महिलाओं की हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, रक्त शर्करा, नेत्र परीक्षण, और गायनी संबंधी समस्याओं की जांच की गई। महिलाओं को आयरन, कैल्शियम और मल्टीविटामिन की गोलियाँ भी वितरित की गईं।

डॉ. संगीता त्रिपाठी, जिला महिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया,

"खेतों में काम करने वाली महिलाओं को अक्सर एनीमिया, पीठ दर्द, मासिक धर्म की अनियमितता और थकावट की शिकायत रहती है। यह शिविर उन्हें समय रहते जांच, परामर्श और उपचार का एक मंच प्रदान करता है।"

जैविक खेती और कीटनाशकों से बचाव पर भी चर्चा

शिविर के एक सत्र में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने महिलाओं को खेतों में काम करते समय सावधानी बरतने के उपाय भी बताए।

  • कीटनाशक छिड़काव के समय मास्क व दस्ताने पहनने की सलाह दी गई।

  • खाली पेट या मासिक धर्म के समय खेतों में काम न करने की हिदायत दी गई।

  • पौष्टिक भोजन और पर्याप्त पानी पीने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।

डॉ. नीरजा यादव, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने बताया,

"अक्सर महिलाएं स्वास्थ्य को नजरअंदाज़ करती हैं, लेकिन जैविक खेती अपनाने से न केवल खेत बल्कि शरीर भी स्वस्थ रहता है।"

सहयोग से संभव हुई पहल

इस शिविर को सफल बनाने में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (ASHA), आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने गाँव की महिलाओं को शिविर की जानकारी दी और समूहों में आकर नियमित स्वास्थ्य जांच कराने के लिए प्रेरित किया।

सरोज देवी (40 वर्ष), एक खेतिहर महिला ने बताया,

"पहली बार किसी डॉक्टर ने हमारे दर्द को सुना। मुझे कमज़ोरी रहती थी, अब खून की जाँच हुई और दवा भी मिली। बहुत अच्छा लगा।"

महिला स्वास्थ्य किट का वितरण

शिविर में उपस्थित सभी महिलाओं को एक 'महिला स्वास्थ्य किट' भी दी गई, जिसमें शामिल थे:

  • सैनिटरी नैपकिन

  • आयरन की गोलियाँ

  • तुलसी और गिलोय की हर्बल ड्रॉप्स

  • पौष्टिक चूर्ण (सत्तू आधारित)

  • प्राथमिक उपचार की जानकारी वाली पुस्तिका

यह किट राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के अंतर्गत प्रदान की गई।

आगे की योजना

स्वास्थ्य विभाग ने यह निर्णय लिया है कि अब प्रत्येक महीने ब्लॉक स्तर पर एक महिला स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जाएगा, ताकि खेतों में काम करने वाली महिलाएं अपनी स्वास्थ्य आवश्यकताओं की अनदेखी न करें।

इसके साथ ही, विभिन्न विभागों के समन्वय से 'स्वस्थ खेतिहर महिला अभियान' की शुरुआत करने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें स्वास्थ्य, कृषि, और महिला सशक्तिकरण से जुड़े विषयों को साथ लाया जाएगा।

इस तरह के शिविर न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को ग्रामीण महिलाओं तक ले जाते हैं, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और आत्मनिर्भर भी बनाते हैं।
खेतों में पसीना बहाने वाली इन महिलाओं के लिए यह पहल सम्मान और सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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