मुख्य बिंदु (Highlights):
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आरबीआई ने रेपो रेट को घटाकर 6.00% किया
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महंगाई पर नियंत्रण और आर्थिक गति को ध्यान में रखकर लिया गया निर्णय
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होम, ऑटो और एजुकेशन लोन हो सकते हैं सस्ते
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शेयर बाजार में सकारात्मक असर, सेंसेक्स में 500 अंकों की उछाल
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MSME और रियल एस्टेट सेक्टर में आई राहत की उम्मीद
मौद्रिक नीति समिति (MPC) का फैसला
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 3 अगस्त 2025 को तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद एक बड़ा फैसला लिया है।
गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 0.25% की कटौती का ऐलान किया है।
अब नई रेपो रेट 6.25% से घटकर 6.00% हो गई है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब रेपो रेट घटती है, तो बैंक उपभोक्ताओं को सस्ती ब्याज दरों पर लोन देना शुरू करते हैं।
उपभोक्ताओं को मिलेगा राहत का फायदा
रेपो रेट में कटौती का सबसे पहला असर होम लोन, ऑटो लोन और एजुकेशन लोन पर पड़ता है।
अब देश के बड़े बैंक जैसे SBI, HDFC, ICICI आने वाले सप्ताहों में ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अभी तक 8.65% की दर से मिल रहा होम लोन अब संभवतः 8.40% या उससे कम पर मिल सकता है।
उद्योगों में बढ़ी उम्मीदें
यह कटौती रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, और MSME सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत है।
MSME क्षेत्र को लंबे समय से ऋण पर ब्याज दर कम करने की मांग थी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उद्योगों की क्रेडिट लेने की क्षमता बढ़ेगी और निवेश को गति मिलेगी।
शेयर बाजार में दिखा असर
रेपो रेट में कटौती की घोषणा के तुरंत बाद ही शेयर बाजार में उछाल देखा गया।
सेंसेक्स 500 अंक और निफ्टी 180 अंक ऊपर जाकर बंद हुए।
विशेष रूप से बैंकिंग और रियल एस्टेट सेक्टर के शेयरों में भारी खरीदारी देखी गई।
महंगाई और आम जनता पर असर
RBI ने स्पष्ट किया कि रेपो रेट में कटौती मौजूदा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को ध्यान में रखकर की गई है।
जून और जुलाई में खुदरा महंगाई दर 5.2% और 5.0% रही, जो कि RBI के लक्ष्य 6% से नीचे है।
इसके अलावा, खाद्यान्न कीमतों में स्थिरता, और तेल के दामों में नियंत्रण से महंगाई पर काबू पाया जा रहा है।
इसलिए उपभोक्ताओं को अब बैंक ऋण के साथ-साथ महंगाई से भी थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
भविष्य की संभावनाएं
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो अगले मौद्रिक नीति में एक और 0.25% कटौती की संभावना बन सकती है।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियाँ जैसे कच्चे तेल की कीमतें, विदेशी मुद्रा प्रवाह और फेडरल रिज़र्व की नीतियाँ इस पर असर डाल सकती हैं।
RBI द्वारा रेपो रेट में की गई यह कटौती अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ाने, उपभोग बढ़ाने, और निवेश को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जहाँ एक ओर यह उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आएगा, वहीं दूसरी ओर उद्योगों और व्यापार जगत में भी नई ऊर्जा का संचार होगा।
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