शाहजहाँपुर की ग्रामीण छात्राओं का नवाचार: बनाया सस्ता और प्रभावी सोलर लैंप, राज्य स्तर पर मिला सम्मान

 


हाइलाइट्स

  • जलालाबाद की छात्राओं ने तैयार किया कम लागत वाला सोलर लैंप

  • राज्य स्तरीय ‘ग्राम नवाचार प्रतियोगिता 2025’ में दूसरा स्थान

  • बिजली संकट झेल रहे गांवों के लिए आशा की किरण

  • जिलाधिकारी और शिक्षा विभाग ने किया सम्मानित

गाँव की बेटियों का बड़ा कारनामा

शाहजहाँपुर के जलालाबाद ब्लॉक स्थित राजकीय इंटर कॉलेज की छात्राओं ने एक ऐसा नवाचार किया है, जिसने पूरे जिले का मान बढ़ा दिया। विज्ञान क्लब के अंतर्गत पढ़ने वाली 11वीं और 12वीं कक्षा की छात्राओं ने विज्ञान शिक्षिका श्रीमती कविता शर्मा के मार्गदर्शन में एक सोलर लैंप का निर्माण किया है। यह लैंप पूरी तरह रिचार्जेबल है और चार्ज होने के बाद 6–8 घंटे तक रोशनी प्रदान करता है।

इस सोलर लैंप की लागत मात्र ₹180 आई है, जबकि बाजार में उपलब्ध लैंप ₹500 से ₹1000 तक के हैं। छात्राओं ने इसे विशेष रूप से ग्रामीण और विद्युत-वंचित क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया है।

कैसे तैयार हुआ सोलर लैंप?

इस नवाचार के लिए छात्राओं ने कार्यशाला में सोलर पैनल, एलईडी बल्ब, छोटी बैटरी, स्विच, तार और प्लास्टिक केसिंग का उपयोग किया। यह सोलर लैंप न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि इसकी मरम्मत और देखभाल भी बेहद सरल है।

टीम में शामिल छात्राओं में प्रमुख नाम:

  • नेहा यादव (कक्षा 12)

  • साक्षी वर्मा (कक्षा 11)

  • पूनम मिश्रा (कक्षा 12)

  • अंजली सिंह (कक्षा 11)

नेहा यादव बताती हैं, "हमारे गांव में अकसर बिजली नहीं होती। पढ़ाई रात में नहीं हो पाती थी। इसीलिए हमने ऐसा उपकरण बनाने की ठानी जो हमारी और अन्य बच्चों की पढ़ाई में मदद कर सके।"

राज्य स्तर पर मिला सम्मान

यह सोलर लैंप मॉडल उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित "ग्राम नवाचार प्रतियोगिता 2025" में प्रस्तुत किया गया, जहाँ इसे राज्य भर के 160 नवाचारों में दूसरा स्थान मिला। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में छात्राओं को ₹25,000 की प्रोत्साहन राशि और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।

विद्यालय और जिला प्रशासन का सहयोग

विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती सरोज कुमारी ने कहा, "हमारे विद्यालय में यह पहला मौका है जब किसी छात्रा की टीम को राज्य स्तर पर सम्मान मिला है। यह हमारे पूरे स्टाफ के लिए गर्व की बात है।"

जिलाधिकारी श्री धर्मेंद्र कुमार ने स्कूल पहुंचकर छात्राओं को गुलदस्ता और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा,
"यह नवाचार ग्रामीण विकास की दिशा में बड़ा कदम है। हम इसे और बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करेंगे ताकि गांव-गांव तक इसका लाभ पहुंचे।"

स्थानीय प्रभाव और संभावनाएँ

इस सोलर लैंप मॉडल को अब आस-पास के कई स्कूलों और पंचायतों ने अपनाने की रुचि दिखाई है। जलालाबाद, कांट, पुवायां और खुदागंज ब्लॉकों के प्रधानों ने इस तकनीक को अपने गांव में लागू करने की बात कही है।

ग्राम प्रधान, रामपुर कलां, श्री अशोक वर्मा ने कहा:
"हमारी पंचायत इन छात्राओं से मिलकर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के ज़रिए इस लैंप का उत्पादन शुरू करना चाहती है। इससे गाँव की महिलाओं को रोजगार मिलेगा और गांव बिजली संकट से कुछ हद तक मुक्त हो सकेगा।"

भविष्य की योजना

छात्राओं ने अब एक और मॉडल पर काम शुरू किया है, जिसमें सोलर लैंप के साथ मोबाइल चार्जिंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इसके लिए जिला विज्ञान अधिकारी और डीआईओएस ने विशेष सहयोग का आश्वासन दिया है।

छात्राओं के लिए यह प्रेरणादायक मिसाल

यह पहल न केवल विज्ञान शिक्षा को व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत करती है, बल्कि यह ग्रामीण बेटियों के नवाचार, आत्मविश्वास और भविष्य निर्माण की दिशा में भी एक मिसाल है।

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